Thursday, October 23, 2025

Sab likha hua hai


कहते हैं सभी,

सब लिखा हुआ है।

क्या मैं लिख दूँ,

और कह दूँ सब लिखा हुआ है।


उसके लिखने में,

मेरे लिखने में क्या फर्क है।

मेरी नादान सोच,

यह पूछ रही है।


मैं लिखूँ बूँद,

तो जल में रह जाएगा।

वो लिखे ओस,

तो मोती बन जाएगा।


तो क्या मेरी मेहनत,

फिजूल हो गई।

क्यूँकि उसने मेरी किस्मत,

लिखा ही नहीं।


जो सबका है अंतिम,

वो मेरी मंज़िल नहीं।

मेरी लिखावट का,

कोई अंतिम नहीं।


मैं फिर भी मेहनत करूँगा,

जब उसकी सियाही रुकी हो।

उस वक़्त मैं लिख दूँ,

वो मेरी तकदीर हो।


_गुलाम दस्तगीर (GD)

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Sab likha hua hai

कहते हैं सभी, सब लिखा हुआ है। क्या मैं लिख दूँ, और कह दूँ सब लिखा हुआ है। उसके लिखने में, मेरे लिखने में क्या फर्क है। मेरी नादान सोच, यह पू...